“मैं हर पल तुझे महसूस करता हूं” – RhYmOpeDia
इस शहर के हर मोड़ पे अकेला – अकेला सा महसूस करता हूँ ,
घर किसी का भी टूटे, मैं टुटा – टुटा सा महसूस करता हूँ,
दिल में बिछड़ने का दर्द किसी को भी हो, मैं वो दर्द महसूस करता हूं,
प्यार कभी किसी से हुआ नहीं, फिर भी उस प्यार को महसूस करता हूं।
मैं हर पल तुझे महसूस करता हूं।
वो रात जब बादल कर लेते है चांद पर कब्जा और, चांद चाह के भी नहीं निकला पाता है
तब तारों की टिम-टिमाहट में, मैं
तेरे वजूद को महसूस करता हूं,
इस लॉकडाउन में हर पल तुमको महसूस करता हूं,
मैं हर पल तुझे महसूस करता हूं।
जब गो-धूली बेला के समय सुरज की मध्यम सी लाल किरणें मेरे आंखों के सामने से गुजरती है,
उन किरणों में, मैं
तेरे चेहरे की लाली को महसूस करता हूं,
मैं हर पल तुझे महसूस करता हूं।
जब तितलियों की लैला-पुष्पो की खुशबू मेरे पास पहुचती है ,
उन एहसासों के खुशबू में, मैं
तुम्हारे साथ की खुशबू को महसूस करता हूं,
मैं हर पल तुझे महसूस करता हूं।
जब लोग मदीरा के नशे में लैश होकर बहकते है, तब मैं तुम्हारे आंखों में डूबे होने के नशे को महसूस करता हूं,
मैं हर पल तुझे महसूस करता हूं।
जब भी मैं आसपास के पेड़ पौधों के पत्तियों को लहराते देखता हूं,
सच मानो उस में एक सुकून होता है,
सुकून वाली खुशबू होती है,
और जब वो पत्तियां हवा में मखमली रूप में लहराती है,
तो उन लहराती- सरसराति पत्तियों में, मैं
तुम्हारे बालों को महसूस करता हूं,
मैं हर पल तुझे महसूस करता हूं।
जब तुम साथ नहीं होती हो तो,
कुछ पल के लिए आंखो को बंद कर
तुम्हें सोच कर मुस्कुरा लेता हूं, फिर अपनी
अपनी कविताओं के हर एक पंक्तियों में, मैं
तुमको महसूस करता हूं,
मैं हर पल तुझे महसूस करता हूं।
जब भी कहीं मैं किसी ख़ूबसूरत कला कृति को देखता हूं
उसके संरचनाओं को देखता हूं
पता नहीं क्यों उन हर एक कारीगरी में तुम्हारे रंग बिरंगे मासूमियत को महसूस करता हूं,
मैं हर पल तुझे महसूस करता हूं।
मैं तुमको हर जगह, हर पल,
हर मौसम, सभी चीजों में, खुद में भी केवल
तुम्हें महसूस करता हूं,
मैं हर पल तुझे महसूस करता हूं।
शायद मुझे नहीं पता कौन हो तुम,
शायद, मुझे नहीं पता कौन हो तुम
फिर ये शायद क्यों है?
कुछ भी हो, मैं
तुम्हें हर लम्हों में महसूस करता हूं,
मैं हर पल तुझे महसूस करता हूं।
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