वक्त को वक्त भी नहीं

वक्त को वक्त भी नहीं,
फिर भी नज़रें तुम्हें ही तलाशती है…
ये सोचना ग़लत है_
कि तुम पर नज़र नहीं है।
मसरूफ़ हम बहुत है
मगर बे-ख़बर नहीं है ।।

बत्तमीज़ तुम इसलिए नही हुई क्योंकि
किसी और पे सवाल हुआ
सवाल वो तुम सह न सकी जो
तुम पे बार बार हुआ।।

तुम ज़िन्दगी नहीँ हो मेरी?
तुम सी सरल होती काश!
पेचीदा है ये ज़िन्दगी,
इसीलिये ज़िन्दगी नहीं तुम
तुम तो बिल्कुल सरल, हवाओ की तरह
तुम तो बस मेरी सुकून वाली साँस हो।।

बस अल्फाज़ो की ही कमी है तेरे मेरे दरमियाँ,
कुछ ना हो के भी, सब कुछ है, तेरे मेरे दरमियाँ,
मेरी लकीरो में, तू है या नहीं, मेरी तकदीर की इम्तिहान, कुछ इस तरह से है।।

ख्वाइशें अधूरी हैं,क्योंकि मज़बुरी है
मजबूरियां तुम्हारी,हमको सारी,
सारी की सारी समझ आ गई
पर क्या तुम्हें हमारी
तुमको आसानी से समझ जाने की ये आदत
पसंद आ गयी ?

बस एक चाहत थी तेरे साथ जीने की, बरना मोहब्बत तो किसी से भी हो जाती,
अक्सर मैंने दुसरो को जिन्दगी में मोहब्बत
धूढते देखा है,
पर मैंने तो मोहब्बत को ही जिन्दगी बना लिया।।

&_Keshav Sawarn
© 2017 LoSeAcTiOn
All rights reserved. 

Published by Keshav Sawarn

I'm not perfect bcz im not fake....

8 thoughts on “वक्त को वक्त भी नहीं

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